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राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द की 2021 एसआई भर्ती परीक्षा, पेपर लीक घोटाले पर बड़ा फैसला

28 अगस्त 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 2021 सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया। यह परीक्षा 13 से 15 सितंबर 2021 के बीच आयोजित हुई थी। अदालत ने साफ कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पेपर लीक घोटाले से इतनी गहराई तक दूषित हो चुकी थी कि निष्पक्ष चयन संभव ही नहीं था।
इस घोटाले का खुलासा फरवरी 2024 में हुआ था। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में सामने आया कि पेपर 15 से 20 लाख रुपये में बेचे जा रहे थे। नेटवर्क में RPSC के अधिकारी, दलाल और अपराधी गिरोह शामिल थे। कुल 122 गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा और रामूराम रैका भी शामिल थे। कई डमी उम्मीदवारों और प्रशिक्षु SIs को भी साजिश में पकड़ा गया।
जस्टिस समीर जैन ने अपने आदेश में कहा कि यह भर्ती प्रक्रिया इतनी भीतर से दूषित है कि इसमें ईमानदार उम्मीदवारों को अलग करना संभव नहीं। अदालत ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी सबकुछ बिगाड़ देती है। जज ने इसे “घर का भेदी लंका ढाए” वाली स्थिति बताया। साथ ही, RPSC में गहरे स्तर पर सुधार की आवश्यकता जताई और पूरे सिस्टम की समीक्षा के निर्देश दिए।
इस भर्ती से 859 पदों को भरा जाना था और करीब 7.97 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। ईमानदार छात्रों के लिए यह झटका था—सालों की तैयारी, मेहनत और सपने बर्बाद हो गए। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि भविष्य की भर्ती में इन्हें दोबारा मौका दिया जाएगा।
फैसले के बाद सरकार और नेताओं में असमंजस दिखा। संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने पहले कहा कि परीक्षा रद्द नहीं हुई, केवल टिप्पणियां दी गई हैं। बाद में उन्होंने माना कि परीक्षा रद्द हो चुकी है, परंतु औपचारिक आदेश किस संस्था को जारी करना है—इस पर कानूनी राय ली जाएगी। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट हरेंद्र नील ने इस मामले को अदालत में मजबूती से रखा और युवाओं को न्याय दिलाया।
हाईकोर्ट ने नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। संभावना है कि 2021 के पदों को आने वाली 2025 की भर्ती के साथ जोड़ा जाएगा। कई उम्मीदवार चाहते हैं कि उन्हें पुरानी आयु सीमा से छूट दी जाए और जिन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी थी, उन्हें भी मौका दिया जाए।
2021 एसआई भर्ती परीक्षा का रद्द होना एक तरफ उम्मीदवारों के लिए दर्दनाक रहा, वहीं दूसरी तरफ यह न्याय की जीत भी है। यह फैसला बताता है कि ईमानदार मेहनत करने वालों को न्याय मिलेगा। साथ ही, यह चेतावनी है कि भ्रष्टाचार और अंदरूनी गद्दारी से कोई भी संस्था बच नहीं सकती। आने वाले समय में यह देखना होगा कि नई भर्ती प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और सुरक्षित बन पाती है।

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